
भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में राम का अवतार हुआ था। सूर्य से पूर्ण परमात्माअंश प्राप्त कर सूर्यवंशी भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी के दिन हुआ था। पराशर ज्योतिष में लिखा गया है कि विष्णु के सभी अवतार ग्रहों से ही परमात्माअंश प्राप्त कर हुए हैं। जिसमें रामावतार का विशेष महत्व है क्योंकि वे ग्रहों के राजा सूर्य से परमात्मा अंश लेकर अवतरित हुए थे। इसलिए उनका जीवन सूर्य की तरह ही अनुशासित रहा एवं अपने आदर्शों पर चलते रहे। सनातन धर्म को मानने वाले इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं। रामनवमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यह इस बात की स्थापना का प्रतीक है कि धर्म अधर्म को हरा देता है ।
आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करके विधिवत रूप से विष्णु के अवतार श्री राम की पूजा अराधना करते हैं। कई जगहों पर रामायण का पाठ एवं राम कथा का मंचन आदि भी किया जाता है। भगवान राम अपने जीवन में जिस तरह आदर्शों पर चले थे यदि आम जनमानस उसी तरह अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं तो अवश्य सफलता प्राप्त करते हैं। भगवान राम को राजाराम की तरह भी पूजा जाता है। कहा जाता है रामराज्य में कोई दुःखी नहीं था इसलिए हर युग में रामराज्य जैसा राज व्यववस्था हो उसकी कल्पना की जाती है।
अब ज्योतिष की बात करें तो रामनवमी पर उपायों की बाढ़ सी आती है , मैं भी आपको एक अचूक उपाय बताना चाहूंगी जिसको अगर आप करते है तो जीवन में कभी उपाय की आवश्यकता ही नहीं होगी -
मैं आपको किसी नदी या तालाब में कुछ बहाने के लिए नहीं कहूँगी।
मैं आपको अपने हाथ पर कुछ लिखने या घर के बाहर कुछ रखने के लिए भी नहीं कहूँगी।
मैं आपको कहूँगी की आप राम जी के 16 गुणों को अपने जीवन में धारण कर ले ताकि जीवन में किसी उपाय की आवश्यकता होगी।

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