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लग्न की व्याख्या

Jun 2

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लग्न की व्याख्या चंद शब्दों में करना संभव ही नहीं है ,फिर भी मैं आपको थोड़ा -बहुत लग्न के बारे में जानकारी देने का प्रयास करती हूँ -


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लग्न -

शब्द बहुत छोटा है लेकिन व्याख्या अंतहीन है।

लग्न, जन्म पत्रिका का प्रथम भाव होता है। जीवन की शुरुवात लग्न से ही होती है। लग्न को प्रथम भाव भी कहते है। जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर उदित होने वाली राशि ही लग्न की राशि होती है।

लग्न आप स्वं है। आपके जीवन के सभी पहलुओं को लग्न से समझा जा सकता है। आपकी शारीरिक बनावट ,शारीरिक और मानसिक अभिरुचि, आपके सम्पूर्ण जीवन का दर्पण लग्न ही है। व्यक्ति का स्वाभाव ,मान-सम्मान ,पद -प्रतिष्ठा ,सुख-दुःख ,जीवन के सभी पहलुँओं को लग्न से ही देखा जाता है।

यूँ तो सभी पहुलओं के लिए अलग-अलग भाव भी जन्म पत्रिका में निर्धारित किये गए है लेकिन परिणाम तो जातक को ही मिलना है और जातक स्वं लग्न ही तो है।


जानते है लग्न आखिर है क्या -


आपके और आपके पिता के रोग का नाश है लग्न

आपकी और आपके अग्रज की आयु का संघर्ष है लग्न

आपके पिता का संतान के प्रति प्रेम है लग्न

आपकी माता का कर्म है लग्न

आपके अनुज के कर्मों के सुख की वृद्धि है लग्न

आपके संतान का भाग्य है लग्न

आपके जीवन साथी का भोग है लग्न

आपके कर्म का सुख भी लग्न और कर्म के संघर्षों की वृद्धि भी लग्न

आपके धन का व्यय भी लग्न और धन की वृद्धि के लिए किये गए प्रयासों का भाग्य भी लग्न

आपके पराक्रम की वृद्धि भी लग्न और पराक्रम की तपस्या का सुख भी लग्न

आपके अग्रज की हिम्मत भी लग्न और अग्रज के मन की व्यथा भी लग्न

जीवन साथी की कल्पनाओं की तपस्या है लग्न

आपके संतान के सुख का संघर्ष है लग्न

आपके ह्रदय की धड़कन है लग्न

आपकी पहली छाप है लग्न

आपके संघर्ष की हानि है लग्न

आपके ध्यान और साधना का भटकाव है लग्न

जीवन को बेहतर बनाए रखने के लिए किया गया संघर्ष है लग्न

लाभ प्राप्ति के लिए की गयी मेहनत है लग्न

आपके हुनर की वृद्धि और भाग्य है लग्न

आपके नींद की लोरी है लग्न

आपके बंधन से वापसी है लग्न

भक्ति में प्रेम है लग्न

पिता के धन का सुख है लग्न

जीवन साथी के आयु की हानि है लग्न

खट्टा ,मीठा ,नमकीन आदि स्वाद की नासमझी है लग्न

घी से बनी वस्तुओं का भोग है लग्न

रास्ते से भटकाव है लग्न

पति-पत्नी के धन का टकराव है लग्न

शब्दों की गहराई और प्रेम है लग्न

रोगवश अल्पाहार है लग्न

वैध के सुख की वृद्धि है लग्न

महान निंदा का नाश है लग्न

पिता के पुण्य कर्मों का भाग्य है लग्न

महान इष्ट कार्य के लिए किये गए परिश्रम का सुख है लग्न

गंभीरता और दूरदर्शिता का सूचक है लग्न

तेरे मन की गहराई के सुख की बैचनी है लग्न

तेरे कंधे की थाप है लग्न

तेरे हिम्मत की दाद है लग्न

शांत भाव से किया गया कर्म है लग्न

धैर्य के लिए की गयी तपस्या का सुख है लग्न

भ्रमित चित्त की प्राप्ति है लग्न

सच और झूठ का द्वन्द हल लग्न

स्पष्ट व्याख्यान शक्ति के लिए किये गए संघर्ष का भोग है लग्न

संस्कारों को संजोएं रखने के प्रयासों का भोग है लग्न


मीनू सिंह सिरोही

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