

पद्म, स्कंद और ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि माघ महीने में जब सूर्य मकर राशि में होता है तब सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। महाभारत और अन्य ग्रंथों में भी इस हिंदी महीने का महत्व बताया गया है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि जो माघ महीने में नियम से एक समय भोजन करता है, वो धनवान कुल में जन्म लेकर अपने कुटुम्बीजनों में महत्व को प्राप्त होता है।
इसी अध्याय में कहा गया है कि माघ महीने की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल मिलता है और वो अपने कुल का उ द्धार करता है।
इस महीने में तिल-गुड़ का सेवन खासतौर पर करना चाहिए।
माघ महीने में श्रीमद्भगवत गीता और रामायण का पाठ करना चाहिए।
इन दिनों में कंबल, तिल-गुड़ का दान जरूर करें।
माघ माह में ही वसंत ऋतु का भी आगमन होता है यह ऋतु मानव के मानस पटल को शुद्ध करने वाला एवं शरीर को आनंन्द देने वाला होता है। इसमें धरती फुलों से आच्छादित हो जाती है। वसंत ऋतु में शुक्र ग्रह उच्च के होते हैं इसका ज्योतिष में अपना महत्व है।
इस ऋतु के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गीता के दसवें अध्याय के पैंतीसवें श्लोक में लिखा है कि मैं ऋतुओं में वसन्त हूं ।
श्लोक इस तरह से है-
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्षो अहम ऋतुनां कुसुमाकरः।।
यहां वसंत को ही नाम कुसुमाकरः कहा गया है।
गायन करने योग्य श्रूतियों में मैं बृहत्साम और छन्दों में गायत्री छनद हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में मैं वसन्त ऋतु हूँ।
आप समझ सकते हैं कि माघ में आने वाले वसंत ऋतु कितना महत्वपूर्ण है और इसमें किये जाने विशेष कार्य जैसे - माघ का स्नान, मौनी अमावश का स्नाान, वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा आदि मनाया जाता है। इसी माह में गुप्त नवरा त्र भी आते हैं जो माघ शुक्लपक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाता है और शरदीय नवरात्र की भांति ही पूजा-पाठ, देवी का अर्चन आदि को भी माँ दूर्गा के चरणों में समर्पित किया जाता है।
माघ स्नान
माघ महीने में स्नान करने से कई तरह के फ़ायदे होते हैं. शास्त्रों के मुताबिक, माघ स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि आती है।
माघ महीने में सूर्योदय से पूर्व जो पवित्र नदियों में स्नान करता है विशेष फल की प्राप्ति होती है। माघ स्नान करने के लिए, प्रयाग, पुष्कर, कुरुक्षेत्र जैसे पवित्र तीर्थों पर जाना चाहिए. अगर संभव न हो, तो गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जा सकता है। यदि पवित्र. नदियों में स्नान नहीं कर सकें तो अपने घर में ही सूर्योदय से पूर्व अपने स्नान के जल में गंगा जल मिला कर स्नान करें भगवान विष्णु की उपासना करें तो बहुत लाभ मिलता है।
माघ महीने में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
माघ स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है.
माघ स्नान करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
माघ स्नान करने से सुख-समृद्धि मिलती है.
माघ स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है.
माघ स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
माघ स्नान करने से जीवन में मंगल बना रहता है.
माघ स्नान करने से समाज में सम्मान मिलता है.
माघ स्नान करने से धन की प्राप्ति होती है.
माघ स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है.
माघ स्नान करने के लिए, प्रयाग, पुष्कर, कुरुक्षेत्र जैसे पवित्र तीर्थों पर जाना चाहिए. अगर संभव न हो, तो गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जा सकता है.
वसंत पंचमी-
शास्त्रों में वर्णित है कि वसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था इसलिए इस तिथि को वसंत पंचमी के साथ-साथ सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाते हैं । माता सरस्वती विद्या एवं बुद्धि की दात्रि देवी हैं। शिक्षा में रत बच्चे इस दिन को बहुत ही धुम-धाम के साथ पीले वस्त्र आदि पहन कर माता की पूजा अर्चना करते हैं और उत्तम शिक्षा प्राप्त कर सकें इसके लिए प्रार्थना करते हैं । यहां हम माता सरस्वती के एक साधारण मंत्र लेकिन बहुत प्रभावी है-
नमस्ते शारदा देवि काश्मीर पुर वासिनी।
त्वांहं प्रार्थये नित्यं विद्या दानं च देहि में।।
इस मंत्र का जप सभी प्रकार के विद्यार्थी को करना चाहिए चाहे आप संगीत, कला आदि के छात्र क्यों न हों।
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