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वैवाहिक जीवन में बढ़ती समस्याओं के लिए कौन जिम्मेदार

Jun 18

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प्रश्न अनेकों उठते हैं मन में


लड़की कैसी होगी? लड़का कैसा होगा? ससुराल कैसी होगी?

विवाह किस दिशा में होगा? नैननक्श कैसे होंगे?

क्या परिवार को साथ लेकर चलने वाली होगी या नहीं?

एक दूसरे का ध्यान रखेंगे कि नहीं आदि?

इसके बाद सबका अपना पसंद होता है जैसे - हम तो अकेला लड़का चाहते है और लड़का विदेशी कंपनी में हो तो बहुत ही अच्छा होगा।


ऐसे न जाने कितने प्रश्नों की बौछार एक साथ आती है। विवाह उपरांत अगर परेशानी आ जाए तो जिम्मेदार ज्योतिषी होगा, क्यूंकि उन्होंने गुण मिलान जो किया था वो ठीक से नहीं किया आदि।


दूसरी और सभी रिश्तेदार और परिवारजन कहते हैं जोड़ियां तो ऊपर वाला ही बनता है।

कुछ कहते है जैसी करनी वैसी भरनी।

कुछ कहते है सब अपने ही कर्मों का फल है।

कुछ कहते है जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।

कुछ कहते है कुछ पिछले जन्मों का कर्ज रहा होगा।

कुछ कहते है सब पंडित जी का कराया है, अच्छे से गुण मिलान ही नहीं किया था आदि।



अष्टम भाव से ससुराल की बात होती है और अष्टम तो एक रहस्य है इसीलिए कालपुरुष में अष्टम भाव में वृश्चिक राशि स्थित होती है। न आयु का पता न ससुराल का, यह एक ऐसा रहस्य है जो पूर्व निर्धारित है।


विवाह पश्चात क्यों एक दुसरे का भाग्य आपस में जुड़ जाता है ?

पत्नी के पत्रिका में अगर पीड़ित गुरु की दशा आ जाए तो क्यों उसका प्रभाव पति पर होता है ?

पति के पत्रिका में अगर पीड़ित शुक्र की दशा आ जाए तो क्यों पत्नी के जीवन पर प्रभाव होता है ?

ये तो आपका डिज़ाइन किया हुआ जोड़ा है फिर क्यों परेशानी हो रही है, कभी सोचा है इस विषय के बारे में आपने, ज्योतिष में जितनी गहराई है उतनी ही वो खुली किताब है।


जब वर या वधु को आपने स्वयं पसंद किया है तो इतनी बड़ी भूल कैसे हो सकती है। उसकी पत्रिका से आप कैसे प्रभावित हो सकते है। कालपुरुष में अष्टम भाव में वृश्चिक राशि देने का कोई तो कारण रहा होगा।


आपका संस्कार और परवरिश को समझने में आपके जीवन साथी को बहुत संघर्ष करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार आप स्वयं भी अपने जीवन साथी के संस्कार और परवरिश को समझने में संघर्ष करते है और इसी संघर्ष का नाम विवाह है।


ध्यान से देखें पत्रिका को और समझें --


दूसरा स्थान और सातवां स्थान आपस में षडास्टक की स्थिति में है ठीक उसी प्रकार आठवां स्थान और लग्न भी आपस में षडास्टक की स्थिति में है।


लग्न आप स्वं है और दूसरा आपके संस्कार

सातवां आपका साथी और आठवां साथी के संस्कार

मेरे जीवन का आरम्भ है संस्कार

वैवाहिक जीवन का नाश है संस्कार।

यही तो है वैवाहिक जीवन का सार है।


अगर यही सब चलता रहा और हर छोटी बड़ी घटना के लिए ज्योतिष या ज्योतिषी को जिम्मेदार ठहराने लगे तो वो दिन दूर नहीं जब प्रत्येक ज्योतिषी के बोर्ड पर लिखा हुआ मिलेगा -------


"हम आपके परामर्शदाता है, भाग्य विधाता नहीं, आपके जीवन की सभी पूर्व और अगामी घटना के जिम्मेदार आप स्वयं है।"


तो क्या ज्योतिष से कुंडली नहीं मिलवाना चाहिए। जिम्मेदारी देना या लेना दोनों ही मुश्किल है एक सरल उपाय है कि आप स्वं ये विद्या सीखे और समझें या आप एक विद्वान ज्योतिष से मिले जो बच्चों के वैवाहिक जीवन को अपने ज्ञान एवं देशकाल परिस्थिति को समझ कर आपको उचित सलाह दे सके।


आज के परिवेश में अच्छे ज्योतिषियों का मिलना ही मुश्किल हो जाता है या हमारा चयन ही गलत हो जाता है। इसपर विशेष ध्यान देना चाहिए। आप तो परिवार और लड़के या लड़की को समझ सकते हैं उसके भविष्य में होने वाली घटनाओं को समझना आपके लिए मुश्किल है। इसलिए आपकी विवशता भी है कि आप अच्छे ज्योतिष से ही सलाह लेकर विवाह आदि शुभकार्य करें।


TRUTHS OF ASTRO

MEENU SINGH SIROHI

7534086728/9911189051

Jun 18

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Comments (2)

indirarana87@gmail com
Jun 19

Very nice explanation

Their are so many questions in mind and sometime we are not getting answers.... Your book will be helpfull for resolves these kind queries.......

Best of luck Meenu mandam

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Dr. Anuradha Bhatia
Jun 18

मीनू जी बहुत सुंदर शब्दों में अपने व्याख्या की है।

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