
"चतुर्थ भाव को सुख भाव कहते है। सुख शब्द बहुत छोटा है लेकिन पूरा जीवन इसके इर्द -गिर्द घूमता है। चतुर्थ भाव को सुख भाव कहा गया है ,लेकिन अगर सुख नहीं होगा तो दुःख भी इसी भाव से देखना होगा। यानि सुख हो या दुःख भाव तो चतुर्थ ही देखें। सुख होगा या नहीं ये सिर्फ चतुर्थ ही नहीं बताता है ,हाँ हम कह सकते है की चतुर्थ भी बताता है। सुख और दुःख का कारण पत्रिका के सभी बारह भाव बताते है, अकेला चतुर्थ जिम्मेदार नहीं है।"

सुख के दृष्टि से पत्रिका को समझना होगा
शब्द मात्र से उत्तर बदल जाता है। सुख व्यक्ति की रूचि पर निर्भर करता है ,हो सकता है आप नए कपडे पहन कर सुखी हो और अन्य नयी पुस्तक का अध्ययन कर के सुखी हो, ये तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है।
उदहारण स्वरुप -
पिता जी को स्वस्थ्य पीड़ा है तो मैं सुखी कैसे रहूँ क्यूंकि पिता को आने वाली अचानक परेशानी ही मेरे दुःख का कारण है, कैसे ?
पत्रिका के नवम भाव से पिता की बात होती है और आप जब नवम भाव से गणना करते है तो नवम से अष्टम स्थान पर होता है सुख भाव यानि अगर सुख भाव पीड़ित है तो आपके साथ-साथ आपके पिता को भी परेशानी संभव है। आपके सुखी न होने का कारण या दुखी होने का कारण ये भी हो सकता है।
आपका रोग, ऋण और संघर्ष आपके दुःख का कारण होते है या सुख के अभाव का कारण, कैसे ?
पत्रिका का छठा भाव रोग,ऋण और संघर्ष को बताता है और जब हम छठे स्थान से गणना करते है तो एकादश होता है चतुर्थ भाव ( यानि छठे स्थान का एकादश ) अगर छठा स्थ ान जीवन की परेशानी का कारण है तो आप सुखी कैसे हो सकते है।
आप अपनी संतान के अत्यधिक खर्च करने की प्रवृति से दुखी हों, कैसे ?
पंचम स्थान से संतान की बात होती है और पंचम स्थान से द्वादश होता है पत्रिका का चतुर्थ भाव ( हम जानते है की द्वादश व्यय की बात करता है ) इसलिए संतान के व्यय ,हानि ,खर्चे को आपकी पत्रिका का चतुर्थ भाव बताता है।
आपके जीवन साथी की कार्यक्षेत्र मे अत्यधिक व्यस्तता से आप सुखी या दुखी हों ,कैसे ?
सप्तम स्थान से जीवन साथी की बात होती है और सप्तम से गणना करने पर दशम होता है आपका चतुर्थ भाव ( हम जानते है की दशम स्थान कर्म को बताता है )इसीलिए आपके जीवन साथी के कर्म की सफलता या असफलता आपकी खुसी या दुःख का कारण बन सकता है।
चतुर्थ भाव का नाम सुख है लेकिन उसका कारण यानि सुखी होने या न होने का कारण आपकी पत्रिका में कही भी छिपा हो सकता है। इस तरह से ज्योतिष को सीख गए तो अन्धविश्वास से भी दूर रहेंगे और अन्य लोगों को भी उचित सलाह दे पाएंगे। परिवार में किसी एक व्यक्ति को अगर परेशानी है तब भी सबका सुख प्रभावित होता है।
ज्योतिष में बहुत गहराई है ,मात ्र शब्द से व्याख्या बदल जाती है।
ASTROLOGER MEENU SINGH SIROHI
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