

हम और हमारे ग्रह हमेशा साथ-साथ ही चलते हैं। हम और आप एक पल भी ग्रहों के प्रभाव से वंचित नहीं रह पाते। सुबह हो या शाम हम ग्रह से दूर हो ही नहीं सकते इसलिए हमारा रिश्ता ग्रहों के साथ गहरा है और इसका प्रभाव भी हमारे उपर हमेशा बना रहता है।
सूर्य की पहली किरण से सूर्य देव का आभास होता है। बारिश की बूंदों से चंद्र देव का साथ मिलता है और ये दोनों तो हमारे पिता एवं माता भी कहलाते हैं।
आज समाचार पत्र पढ़ते समय सारे ग्रह आँखों के सामने आ गए, कुछ सरकार की खबर दे रहे थे तो कुछ धन सम्बन्धी, कुछ चोरी की खबर दे रहे थे तो कुछ दुर्घटना सम्बन्धी, कुछ मौसम का हाल सुना रहे थे तो कुछ बाजार का। गरम-गरम चाय की चुस्कियों से मन प्रसन्न हो गया, चलिए चन्द्रमा भी साथ ही है।
नाश्ते में बच्चों की फरमाइश पर आलू के चटपटे परांठे बने, शुक्र और मंगल भी आ गए। जैसे ही घडी में नौ बजे काम वाली बाई भी आ गयी, शनि का भी प्रवेश हुआ, आपके मुख से शब्द निकले "ध्यान से काम करना" सूर्य का प्रभाव आया।
पूरा दिन भर बात-चीत होती रहती है, बुध और मंगल तो कहीं जाता ही नहीं। इतना काम करते-करते मन में चिचिड़ाहट उतपन्न हुई, केतु ने भी अपनी छाप छोड़ दिया। इंटरनेट के बिना तो जीवन ही अस्मभव है, इसलिए राहु एवं मंगल तो साथ ही चलता है।
अब आप ही बता दें कि हम किस ग्रह की दशा देखें और किसकी नहीं। ज्योतिष तो जीवन का हिस्सा है।
बुध भले ही चन्द्रमा को मित्र न मानता हो लेकिन पौधे बिना पानी के जीवत नहीं रह पाते। मालिक और सेवक का रिस्ता अटूट है भले ही शनि और सूर्य मित्र ना हों। आप सेवक के बिना और सेवक आपके बिना नहीं रह पाता।
शुक्र और गुरु की मित्रता भी कुछ खास नहीं है लेकिन हर स्त्री को पति, पुत्र एवं धन का सुख चाहिए।
मंगल और बुध हमेशा साथ दिखाई देते ही है चाहे पड़ोसी से लड़ाई हो या गणित की समस्या का समाधान, तर्क-वितर्क से अपनी बात की प्रस्तुति में भी दोनों साथ है और घर में बने पालक-पनीर में स्वाद बढ़ाने के लिए लगाया गया तड़का भी मंगल ही है।
सूर्य भले ही किसी का मित्र हो या शत्रु सरकारी नौकरी सब को चाहिए।
कितने भी सौंदर्य प्रसाधन चेहरे पर लगा लीजीए, बिना मंगल के लालिमा नहीं आ सकती क्यूंकि लाल रक्त कणों को मगल से ही देखा जाता है और रक्त के सही प्रवाह के लिए भी व्यायाम ही सलाह दी जाती है।
बिना गुरु के ज्ञान संभव ही नहीं फिर चाहे कला का क्षेत्र ही क्यों न हो, त ो गुरु और बुध भी एक दुसरे के बिना अधूरे है।
ज्योतिष मात्र ग्रहों की मित्रता और शत्रुता समझने का विषय नहीं है, वर्त्तमान समय में हमने ज्योतिष को उपाधि या कहिए सुख एवं दुःख का कारण समझ लिया है, लेकिन ये इन सबसे ऊपर है। अंत में इतना ही कहना चाहेंगे कि हम हमारे ग्रह के बिना एक पल के लिए भी नहीं चल सकते। ये कहानी और भी लंबी हो सकती है लेकिन ये तो सिर्फ आपकी दृष्टि को बदलने के लिए लिखा है।
धन्यवाद!
MEENU SINGH SIROHI
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wow ma'am . bahut sunder dhange se grahon ko bataya aapne
Bahut sundar
A scholarly and appealing article. Congratulations 🎉
Bahut achhe tarike se graho ko denik din charya ko lekar jankari ka prastutikarn he meenuji
अति सुंदर और प्रभाशाली तरीके से ग्रहों की जानकारी दी आपने मीनू जी