
द्वादश भावों में मुंथा के स्थित होने का फल
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प्रथम भाव में मुंथा-
o प्रथम भाव में मुंथा हो तो जातक हमेशा अपने जीवन में तरक्की के लिए तत्पर रहता है। नया व्यवसाय की शुरूवात हो सकती है।
o अधिकारी के द्वारा सम्मानित किए जाएं।
o आर्थिक लाभ की प्राप्ति हो और स्वास्थ्य उत्तम हो।
द्वितीय भाव में मुंथा-
o द्वितीय भाव से धन, कुटुंब, वाणी की बात होती है ।
o यदि द्वितीय भाव में मुंथा हो तो सबसे पहले आर्थिक लाभ धन का लाभ या आय में वृद्धि और अपने कुटुंब के साथ सुख पूर्वक रहने का या कुटुंब से मिलने का अवसर प्राप्त होता है।
o वाणी से संबंधित कार्य करते हो तो उस वर्ष विशेष समृद्धि प्राप्त हो।
तृतीय भाव में मुंथा-
o तृतीय भाव से पराक्रम, भाई, अनुयाई या सेवकों, खेलकूद, कला आदि की बात होती है।
o वर्ष कुंडली में मुंथा यदि तीसरे स्थान में आनंद की प्राप्ति होती है।
o भाई बहनों का सहयोग प्राप्त होता है। भाई बहनों की तरक्की होती है। भाई-बहनों का विवाह भी संभव है।
o खेलकूद, कला आदि के क्षेत्र में आपको विशेष तरक्की मिलने की संभावना है।
o आपके पराक्रम की वृद्धि होगी। आनंद पूर्वक जी वन में आगे बढ़ेंगे।
o सेवकों का सहयोग मिलता रहेगा। छोटी यात्रा करना संभव होता है।
चतुर्थ भाव में मुंथा-
o चतुर्थ भाव में मुंथा को अच्छा नहीं कहा गया है।
o स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने की संभावना होती है।
o मन में गलतफहमी उत्पन्न होता है। मानसिक तनाव तथा अशांति आदि होती है।
o घर में बिना वजह भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
o यहां प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री तथा परिवार के नजदीकी संबंधों माता-पिता पत्नी आदि के साथ वैमनस्यता या वैचारिक मतभेद संभव है।
पंचम भाव में मुंथा-
o पंचम भाव त्रिकोण का भाव है और इसको पूर्वार्जित कर्मों का भाव कहा गया है पंचम स्थान से जिन जिन विषयों की बात होती है उन सभी विषयों पर मुंथा का विशेष प्रभाव होता है।
o पंचम स्थित मुंथा सबसे पहले तो संतान होने का संकेत प्रदान करता है। यदि संतान उत्पत्ति का उम्र हो।
o मांगलिक कार्यों की सम्भावना होती है।
o पंचम से शास्त्र ज्ञान आदि की बात होती है तो यह हमारे हायर एजुकेशन के साथ-साथ यदि आप किसी प्रकार का शास्त्रीय ज्ञान या परा विद्या के लिए इच्छुक हैं तो निश्चित रूप से आपको इस वर्ष इस वर्ष पंचम स्थान में मुंथा हो आपको विशेष सहयोग मिलेगा।
o सरकार के द्वारा अनु ग्रहित भी होते हैं अब यहां पांचवें स्थान दशम का आठवां है। इसीलिए यहां दशम से अष्टम होने का बहुत बुरा परिणाम नहीं मिलता निश्चित रूप से हम कहना चाहेंगे कि आप यदि किसी नौकरी में हैं या किसी व्यवसाय में है या किसी बड़े कंपनी में काम करते हैं तो वैसी स्थिति में आपको अपने नौकरी व्यवसाय आदि में विशेष तरक्की मिलने की संभावना होती है।
छठे स्थान में मुंथा-
o छठा स्थान अशुभ स्थान होने के साथ-साथ दुख स्थान भी कहा गया है।
o 6, 8, 12 में मुंथा को अच्छा नहीं कहा गया है।
o यहाँ स्थित मुंथा से उस वर्ष रोग की बात हो सकती है।
o ऋण, शत्रु, कोर्ट कचहरी, अदालती कार्यवाही के साथ-साथ यहां संघर्ष आदि की स्थिति बन सकती है। उस साल अधिक परिश्रम करना पड़े। यहाँ स्थित मुंथा इस तरह के परिणाम दे सकता है।
सप्तम स्थान में मुंथा-
o केंद्र स्थान होने के बाद भी सप्तम स्थान में मुंथा को शुभ परिणामदायी नहीं कहा गया है।
o सप्तम स्थान से जिन भी विषयों का विचार करते हैं उन सभी विषयों के परिणाम को विपरीत रूप से प्रभावित करता है।
o सप्तम से हम पति पत्नी का विचार करते है। यहाँ स्थित मुंथा पति-पत्नी के बीच मतभेद गलतफहमी तथा किसी न किसी रूप से विवाद आदि को जन्म देता है।
o सप्तम स्थान में यदि मुंथा स्थित हो तो हमको व्यवसायिक साझेदारी के साझेदारी में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और मानसिक रूप से विशेष चिंता ग्रस्त हो सकते हैं।
o लंबी यात्रा करते हैं तो लंबी यात्रा में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है
अष्टम भाव में मुंथा-
o अष्टम स्थान को भी दुख स्थान कहते हैं और अष्टम स्थान में मुंथा की स्थिति को अच्छा नहीं कहा गया है।
o चोट-चपेट, दुर्घटना आदि से सावधान रहना चाहिए।
o किसी भी प्रकार से कोई भी लीगल कार्य आपके जीवन में अचानक सामने उपस्थित हो सकता है।
o किसी के साथ वाद-विवाद हो सकता है।
o कोई ऐसी बीमारी उस वर्ष निश्चित रूप से आप को प्रभावित कर सकता है जिसका इलाज लंबे समय तक चलता है।
नवम स्थान में मुंथा-
o नवम स्थान उत्तरोत्तर बलि त्रिकोण स्थान है इसे भाग्य एवं धर्म का स्थान भी कहते हैं।
o जिस वर्ष आपके वर्ष कुंडली में मूंथा नवम स्थान में स्थित हो तो उस वर्ष आपके जीवन में शुभ परिणाम देने वाले अवसर प्राप्त होंगे।
o भाग्य का साथ मिलेगा। धार्मिक यात्राएं करेंगे। मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
o मांगलिक कार्य का लाभ मिलेगा और भाग्य का हमेशा साथ मिलेगा।
o यहां पिता का भी विशेष सहयोग प्राप्त होगा। अपने इष्ट मित्र या गुरुजनों का भी कृपा प्राप्त होगा।
दशम स्थान में मुंथा-
o दशम स्थान कर्म स्थान कहा गया है। दशम में मुंथा जिस वर्ष स्थित हो उस वर्ष कर्म से संबंधित अच्छे परिणामों की प्राप्ति होगी।
o उस वर्ष नौकरी मिलना अर्थात पद की प्राप्ति संभव है।
o यदि आप किसी कार्य में कार्यरत हो तो दशम में यदि मुंथा हो तो उस वर्ष आपके कार्य में तरक्की पदोन्नति आदि की भी संभावना संभव है।
o इच्छा पूर्ति के लिए दशम स्थान को बताया गया है जिस वर्ष दशम में मुंथा हो उस वर्ष आप अपने जीवन में यदि कोई विशेष इच्छा रखते हो तो संभव है कि उस वर्ष आपकी इच्छा पूर्ति हो, उच्च पद की प्राप्ति हो, मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा नाम आदि के लिए भी दशम स्थान स्थित मुंथा को अच्छा कहा गया है।
o मुंथा यदि अपने स्वामी या शुभग्रह से देखा जाय तो शुभ फल की प्राप्ति करवाता है।
o मुंथा यदि पापी ग्रह हो एवं पापी ग्रह से देखा जाय तो अशुभ फल की प्रप्ति करवाता है।
एकादश स्थान में मुंथा-
o एकादश स्थान अशुभ स्थान कहा गया लेकिन बढ़ोतरी का स्थान होने के कारण यहां किसी भी ग्रह को चाहे वह शुभ ग्रह हो या अशुभ ग्रहों उसका स्थित होना अच्छा कहा गया है।
o ठीक उसी प्रकार से यदि मुंथा भी एकादश स्थान में स्थित हो तो शुभ फलदाई होता है।
o उस वर्ष आय में वृद्धि अर्थात लाभ में वृद्धि, सरकार के द्वारा या आपके बॉस के द्वारा या किसी अधिकारी के द्वारा मान-सम्मान की प्राप्ति, पुरस्कार की प्राप्ति अर्थात आप जिस क्षे त्र में कार्य कर रहे हो उस क्षेत्र में तरक्की मिलने की विशेष संभावना होती है।
बाहरवें भाव में मुंथा -
o बाहरवें भाव में मुंथा को अच्छा नहीं कहा गया है। व्यय की अधिकता हो सकती है।
o विदेश यात्रा में परेशानी संभव है। अस्पताल आना-जाना लगा रहें ऐसी भी सम्भावना है। कोर्ट केस आदि की भी सम्भावना है।
MEENU SINGH SIROHI
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