
यह एक संवेदनशील बिंदु है यह एक भाव से दुसरे भाव में हर वर्ष जाता है।
जन्म के समय मुंथेश प्रथम भाव में होता है और हर वर्ष अगली राशि में चला जाता है। लेकिन भाव अगला हो यह संभव नहीं यानि राशि अगली होगी लेकिन भाव कोई भी हो सकता है। मुंथा जिस भाव में होता है उसे मुंथा भाव और जिस राशि में होता है उसे मुंथा राशि कहते है तथा उस राशि के स्वामी को मुन्था का स्वामी या मुन्थेश कहते हैं
मुंथा जिस भाव में या राशि में होगा उसका फल समझना चाहिए।
माना कर्क राशि में चतुर्थ भाव में मुन्था है तो
मुंथा भाव-चतुर्थ
मुंथा राशि-कर्क
मुंथेश-चन्द्रमा
मुंथा हर वर्ष किस राशि में होगा उसे ज्ञात करने की विधि -
जन्म लग्न में जो राशि स्थित है उस राशि संख्या को नोट कर लेंगे उसमें ़पूर्ण वर्ष की संख्या को जोड़ देंगे प्राप्त अंकों को 12 से भाग देंगे भाग देने पर जो शेष बच जाए वही मुंथा राशि होगी तथा वह राशि जिस भाव में स्थित हो वही मुन्था का भाव कहलाएगा। शेष राशि यदि शून्य है तो मीन राशि में मुंथा होगा।
मुंथा जिस भाव में स्थित होगा उस भाव के गुण स्वरूप के अनुकूल ही मुंथा का भी फल कहेंगे लेकिन यहां मुंथा के फल भाव के अनुसार शुभ एवं अशुभ हो सकते हैं।
यदि मुंथा शुभ भावों में स्थित है तो शुभ फल कहना चाहिए और यदि मुंथा अशुभ भावों में स्थित हो तो अशुभ फल कहना चाहिए। इसके लिए कौन सा भाव अशुभ होगा इसका वर्णन आगे किया जाएगा।
मुंथा का भाव में स्थित होने का फल-
पराशरी सिद्धान्त के अनुसार यहां अशुभ स्थान नहीं लेना है। लेकिन दुख स्थान 6 8 12 और चतुर्थ और सप्तम में मुंथा का फल अच्छा नहीं कहा गया है।
अन्य स्थानों में मुंथा का फल अच्छा कहा गया है। मुंथा जिन स्थानों में होते हैं उन स्थानों से संबंधित जो परिणाम हमें जीवन में प्राप्त होते हैं उन परिणामों को भी मुंथा प्रभावित करता है या उसी प्रकार के परिणामों को देने का प्रयास करता है।
9, 10, एवं 11वें स्थानों में मुंथा स्थित होने पर स्वामित्व का फल मिलता है क्योंकि यह स्थान केन्द्र, त्रिकोण एवं उपचय स्थान का उत्तरोत्तर बली स्थान है।
1, 2, 3, 5 इन स्थानों में मुंथा के स्थित होने पर उद्यम का फल मिलता है अर्थात यदि हम प्रयास करते हैं परिश्रम करते हैं तो हमें अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
MEENU SINGH SIROHI